भंगयणी मंदिर- हरिपुरधार पर माता भंगयणी ने श्रीगुल देवता को दिल्ली जेल से मुक्त कराया था। श्रीगुल इस महिला को अपने साथ लाया था तथा इसके स्नेह भाव के कारण इसे हरिपुधार में बसा दिया था। सिखों के लिए यह स्थान ऐतिहासिक महत्व रखता है। गुरु गोबिंद सिंह ने यहाँ कई पहाड़ी रियासतों के राजाओं से युद्ध किया और उन पर विजय प्राप्त की थी।
ज़िला सिरमौर के हरिपुरधार में स्थित मां भगयाणी मन्दिर समुद्रतल से आठ हज़ार की ऊंचाई पर बनाया गया है। यह मन्दिर उतरी भारत का प्रसिद्ध मन्दिर है। यह मन्दिर कई दशकों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुअ है। वैसे तो यहां वर्ष भर भक्तों का आगमन रहता है परन्तु नवरात्रों और संक्राति में भक्तों की ज्यादा श्रद्धा रहती है। इसका पौराणिक इतिहास श्रीगुल महादेव से की दिल्ली यात्रा से जुडा है जहां तत्कालीन शासक ने उन्हे उनकी दिव्यशक्तियों के कारण चमडे की बेडियों में बांध बन्दी बना लिया था और दर्वार में कार्यरत माता भगयाणी ने श्रीगुल को आज़ाद करने में सहायता की थी।
इस कारण श्रीगुल ने माता भगयाणी को अपनी धरम बहन बनाया और हरिपुरधार मेंस्थान प्रदान कर सर्वशक्तिमान का वरदान दिया। आपार प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य बना यह मन्दिर आस्था का प्रमुख स्थल है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये मन्दिर समिति ने ठहरने का प्रबन्ध किया हुआ है। हरिपुरधार शिमला से वाया सोलन राजगढ एक सौ पचास किलोमीटर दूर है। जबकि चण्डीगढ से १७५ किलोमीटर है। हरिपुरधार के लिये देहरादून से भी यात्रा की जा सकती है।
Comment with Facebook Box